श्री एकरसानंद आदर्श संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 1944 में हुई। 1 जुलाई, 1978 को इस संस्थान को भारत सरकार की आदर्श योजना के लिए चुना गया। जिसके पश्चात् यह महाविद्यालय, शिक्षा मन्त्रालय, भारत सरकार एवं केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली की आदर्श योजना के अन्तर्गत मान्यता प्राप्त संस्था के माध्यम से चल रहा है।
भारतीय मनीषियों एवं ऋषियों द्वारा निबद्ध संस्कृति देववाणी संस्कृत में ही निहित है इसलिए भारतीय मनीषी संस्कृत के संरक्षण एवं सम्बर्द्धन के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहे हैं । इसी परम्परा में श्रीमत् परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ अनन्त श्री विभूषित श्री स्वामी एकरसानन्द सरस्वती जी महाराज के शिष्य श्रीमत् परमहंस महामण्डलेश्वर श्री स्वामी भजनानन्द सरस्वती जी महाराज ने अपने सद्गुरूदेव के नाम पर सन् 1944 में उनके जन्मदिवस भाद्रपद ऋषि पंचमी को श्री एकरसानन्द संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की।
कर्मयोगी सन्त श्री स्वामी नित्यानन्द सरस्वती जी महाराज "भैया जी" के प्रयासों से इस महाविद्यालय को उत्तरप्रदेश शासन द्वारा 25 अप्रैल 1949 को मान्यता प्राप्त हुई तथा सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से 07 अक्टूबर 1950 को सम्बद्ध हुआ। महाविद्यालय के बहुमुखी विकास से प्रभावित होकर भारत सरकार ने अपनी आदर्श योजनान्तर्गत मान्यता प्रदान की एवं 01 जुलाई 1978 को मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय की आदर्श योजनान्तर्गत इस महाविद्यालय को वित्तीय सहायता मिली।
वर्तमान में यह महाविद्यालय महामण्डलेश्वर श्री स्वामी शारदानन्द सरस्वती जी महाराज "वेदान्ताचार्य" के सुखद सानिध्य में प्रगति के पथ पर निरन्तर अग्रसर है।